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शुक्रवार, 14 जून 2024

कदमब के आयुर्वेदिक लाभ

                                            😀 कदमब के आयुर्वेदिक लाभ इस प्रकार है।😀


 


कदंब का पेड़ : आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर प्राकृतिक औषदी 
परिचय
आज के  समय में लोग आयुर्वेद पर अधिक विश्वास करने लगे हैं क्योंकि इसमें सभी रोगों का प्राकृतिक समाधान पाया जाता है। आयुर्वेद में कई औषधीय पौधों का उल्लेख किया गया है, जिनमें से एक है कदंब का पेड़। इस पेड़ की छाल, तना, फल और पत्ते औषधीय गुणों से भरपूर होते है  और कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं।

कदंब के पेड़ का परिचय और इसकी विशेषताएँ
कदंब का वैज्ञानिक नाम Neolamarckia cadamba है और यह विशेष रूप से भारत, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका में पाया जाता है। इसका उपयोग आयुर्वेद, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा में वर्षों से किया जाता रहा है।

कदंब के औषधीय गुण और स्वास्थ्य लाभ 
✅ ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक 
कदंब के छाल का काढ़ा पीने से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए एक बेहतरीन प्राकृतिक उपाय है।

✅ खासी और जुखाम मे लाभकारी 
अगर किसी को लगातार खांसी या जुकाम हो रहा हो, तो कदंब की छाल और पत्तों का काढ़ा पीने से राहत मिलती है। यह फेफड़ों को मजबूत करता है और इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है।

✅ मुह की बदबू और पायरिया मे छुटकारा 
कदंब के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मुँह की बदबू और पायरिया की समस्या से छुटकारा मिलता है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण मुँह के अंदर बैक्टीरिया को खत्म करते हैं।

✅ आखों के रोगों मे लाभ 
अगर किसी को आँखों में दर्द हो रहा है, तो कदंब की छाल को पीसकर उसका रस निकालें और इसे आँखों के चारों ओर लगाएँ। यह आँखों की जलन और दर्द को कम करने में मदद करता है।

✅  पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है 
कदंब के फल में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो पाचन को सुधारते हैं और कब्ज की समस्या को दूर करते हैं।

✅  त्वचा के रोगों मे  लाभ कारी 
अगर किसी को त्वचा संबंधी समस्या जैसे खुजली, रैशेज या एक्जिमा है, तो कदंब के पत्तों का लेप लगाने से काफी राहत मिलती है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा को स्वस्थ रखते हैं।

 कदंब के अन्य उपयोग 
कदंब के पेड़ की लकड़ी फर्नीचर और कागज उद्योग में भी उपयोग की जाती है।

आयुर्वेदिक औषधियों में इसकी छाल, पत्ते और फल का उपयोग किया जाता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण इसे पूजा और हवन में भी प्रयोग किया जाता है।

 कैसे करे कदंब के उपयोग ?
✔ काढ़ा बनाकर पिएं – कदंब की छाल और पत्तों से बना काढ़ा स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है। ✔ पत्तों का रस – इसका रस त्वचा और मुँह के संक्रमण के लिए फायदेमंद होता है। ✔ फल का सेवन करें – कदंब का फल शरीर को पोषण और एनर्जी प्रदान करता है।


आज के लोग आयुर्वेद पर अधिक विश्वास जताने लगे है।आयुर्वेद में सभी रोगों का इलाज संभव है। एसिलिये आयुर्वेद पर अधिक विश्वास लोगो का हो गया है। ऐसा आयुर्वेद में एक पेड़ है जिसका नाम है कदमब का पेड़  इस पेड़ की फल छाल तना  जो हमारी स्वास्थ के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। कदमब के पेड़ में बहोत सारे पोषक तत्व मौजूद होते है। जिससे यह हमारे लिए हमारे शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी होती है।

दरसल हमारे देश में ऐसे कई पारकर के पेड़ पाये जाते है। जिनमे विभिन्न पारकर के औषधि गुडो के भंडार पाए जाते है। ऐसा ही औषधि गुणो से भरपूर पाए जाने वालो में से एक पेड़ का नाम है जिसका नाम है। कदम्ब।यह हमारे शरीर के लिए  बहुत ही लाभकारी होता है। इस पेड़ के  फल  ,तना  , छाल ला इस्तेमाल औषधि गुणों में किया जाता है।  तथा  इसके  उपयोग से विभिन्न प्रकार के रोग मिट जाते है । कदम्ब का पेड़ का जो फल  होता है। वह पेशाब संबंधी बीमारी डायबिटीज, खासी ,जुकाम बदबू पायरिया ,आखों का दर्द ,जैसी  बीमारियो में लड़ने  में हमारी मदद करते है। यह कई प्रकार  के एंटी आक्सीडेंट,खनिज ,विटामिन से भरपूर  होता है।





जिन मरीजों को  ब्लड शुगर को कंट्रोल करना होता है वह कदम्मब की छाल का काढ़ा पीने से ब्लड शुगर में काफी राहत मिलती है ।  तथा साथ ही कदम्मब के फल को सेवन करने से फल में मौजूद  गुण  डायबिटीज में काफी लाभ करते करते है।






अगर किसी को खासी की समस्या कई दिनों से लगातार बनी हुई तो वह व्यक्ति कदममब की छाल और पत्तियो का काढ़ा बनाकर पिए  तो खासी की समस्या दूर की जा सकती है। यह काढ़ा  दिन में दो बार पी सकते है। 


कदम्मब के पत्तो का काढ़ा बनाकर गरारा करने से  पायरिया मुंह की बदबू में लाभ मिलता है। तथा मुंह के छालों कुछ दिनों में पूरी तरह ठीक हो जाते है। किसी व्यक्ति को अगर आखों में  दर्द हो रहा है तो कदम्मब  के छाल को पीसकर  उसका रस निकालकर आखों के किनारे चारो तरफ लगाने से आखों का दर्द ठीक हो जाता है। 

निष्कर्ष 

कदंब का पेड़ एक प्राकृतिक औषधि का खजाना है। इसके फल, छाल, पत्ते और तना का उपयोग करके कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। यदि आप प्राकृतिक और आयुर्वेदिक तरीकों से अपनी सेहत को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो कदंब को अपनी जीवनशैली में जरूर शामिल करें



क्या आपको यह जानकारी उपयोगी लागि , अपने विचार हमे कमेन्ट मे बताए 

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मंगलवार, 11 जून 2024

पालक के चमत्कारी लाभ

👉 पालक के पोसक तत्व 




पालक: पोषण का पावरहाउस और इसके अद्भुत स्वास्थ्य लाभ
परिचय
पालक (Spinach) एक हरी पत्तेदार सब्जी है, जिसे पोषण का खजाना माना जाता है। यह न केवल विटामिन और मिनरल्स से भरपूर है, बल्कि कई बीमारियों से बचाने में भी सहायक है। इस लेख में हम पालक के पोषण मूल्य, स्वास्थ्य लाभ, उत्पादन और प्रकारों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

पालक में पाए जाने वाले प्रमुख पोषक तत्व
पालक में विटामिन A, C, K, आयरन, फोलेट और कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर और कम कैलोरी वाली सब्जी है, जो शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है।

पालक के पोषक तत्व (प्रति 100 ग्राम)
विटामिन A - 9377 माइक्रोग्राम

विटामिन K - 482.9 माइक्रोग्राम

विटामिन C - 28.1 माइक्रोग्राम

पोटैशियम - 558 मिलीग्राम

मैग्नीशियम - 79 मिलीग्राम

आयरन (लौह) - 2.71 मिलीग्राम

कैल्शियम - 99 मिलीग्राम

फाइबर - 2.2 ग्राम

कार्बोहाइड्रेट - 3.63 ग्राम

वसा - 0.93 ग्राम

प्रोटीन - 2.68 ग्राम

ऊर्जा - 23 किलो कैलोरी

पानी - 91.4 ग्राम

पालक के स्वास्थ्य लाभ
पालक का सेवन करने से कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ होते हैं:

✅ रक्तचाप को नियंत्रित करता है
पालक में उच्च मात्रा में नाइट्रेट होता है, जो रक्तचाप को संतुलित रखने में मदद करता है। यह हृदय रोगों के खतरे को भी कम करता है।

✅ पाचन में सुधार करता है
फाइबर से भरपूर होने के कारण पालक पाचन तंत्र को मजबूत करता है और कब्ज की समस्या को दूर करता है।

✅ मधुमेह को नियंत्रित करता है
पालक में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और मैग्नीशियम ब्लड शुगर को संतुलित बनाए रखते हैं, जिससे डायबिटीज का खतरा कम होता है।

✅ हड्डियों को मजबूत बनाता है
इसमें मौजूद कैल्शियम और विटामिन K हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं से बचाते हैं।

✅ आंखों की रोशनी बढ़ाता है
पालक में पाए जाने वाले ल्यूटिन और ज़ीएक्सैंथिन तत्व आंखों की रोशनी को बढ़ाने और मोतियाबिंद जैसी बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।

✅ कैंसर से बचाव करता है
पालक में बीटा-कैरोटीन, क्लोरोफिल और अन्य एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो शरीर में कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकते हैं।

पालक की उत्पत्ति और लोकप्रियता
पालक की उत्पत्ति प्राचीन फारस (वर्तमान ईरान) में हुई थी। इसे सदियों से पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक भोजन के रूप में माना जाता रहा है।

टीवी शो "पोपाई द सेलर मैन" के कारण पालक की लोकप्रियता पूरी दुनिया में बढ़ी। इस शो में दिखाया गया कि पालक खाने से इंसान अत्यधिक शक्तिशाली हो जाता है। हालांकि यह एक काल्पनिक बात थी, लेकिन वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है कि पालक मांसपेशियों और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है।

दुनिया में सबसे ज्यादा पालक उत्पादन करने वाले देश
चीन – विश्व उत्पादन का 90% से अधिक

संयुक्त राज्य अमेरिका – 1.5%

जापान – 1.1%

तुर्की – 1%

इंडोनेशिया – 1% से भी कम

पालक के प्रकार
पालक को तीन मुख्य प्रकारों में बांटा जाता है:

1. सामान्य पालक
इसकी पत्तियां गहरे हरे रंग की और सीधी होती हैं।

यह आसानी से बाजार में उपलब्ध होता है।

2. चिकनी पत्तियों वाला पालक
इसकी पत्तियां चिकनी, चमकदार और गहरे हरे रंग की होती हैं।

इसे उगाना और साफ करना आसान होता है।

यह अक्सर सूप और सलाद में उपयोग किया जाता है।

3. सेमी-सेवॉय पालक
इसकी पत्तियां थोड़ी सिकुड़ी हुई और गहरी हरी होती हैं।

यह आमतौर पर ठंडे मौसम में उगाया जाता है।

पालक की खेती और उत्पादन
पालक सर्दियों के मौसम में सबसे अच्छा उगता है।

यह लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में उग सकता है, लेकिन जैविक खाद डालने से इसका उत्पादन और पौष्टिकता बढ़ जाती है।

इसे गमलों में भी उगाया जा सकता है, जिससे घर में भी ताजा और जैविक पालक प्राप्त किया जा सकता है।

पालक को आहार में कैसे शामिल करें?
आप पालक को कई तरीकों से अपने आहार में शामिल कर सकते हैं: ✔ पालक का सूप – विटामिन और मिनरल्स से भरपूर।
✔ पालक पराठा – स्वाद और पोषण का बेहतरीन संयोजन।
✔ पालक का जूस – शरीर को डिटॉक्स करने में सहायक।
✔ सलाद में पालक – फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर।
✔ पालक की स्मूदी – वजन घटाने के लिए फायदेमंद।
✔ पालक सब्जी – दाल और अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर खाई जा सकती है।



पोषक तत्वों से भरपूर पालक विटामिन ए ,सी, जैसे आवश्यक तत्वो से भरपूर कोलेट औरन और कैल्सियम से भरपूर होता है
एंटी आक्सीडेंट गुण : इसमें बीट कैरोटिन, जैसे विभिन  एंटी आक्सीडेंट गुण होते हैं जो हमारे शरीर को तनाव से मुक्त करते है और पुरानी बीमारियो के खतरे को कम करते है 
प्राचीन फार्स में मूल रूप से पालक की उत्पत्ति हुई थी ।  और इसे बट सालो से पौष्टिक और सवथ पदार्थ माना जाता है। इसी कारण से इसे बहोत अधिक पसंद भी किया जाता है।एक टीवी प्रोग्राम कामिक किरदार पोपायिके कारण इसकी लोकप्रियता पूरे विश्व में फैली,जिसके कारण पूरे विसव में लोग इसके बारे में अधिक जानने लगे।टीवी शिरियाल पोपायिया का किरदार देखने के बाद लोग सवाल करने लगे की क्या पालक खाने से अधिक ताकत मिलती है। जिसके कारण दुस्मानो को हराया जा सकता है। यही सवाल लोग गुगल पर अधिक पूछने लगे।वैसे तो पपाया की कहानी को चढ़ा बड़ा कर दिखाया गया है।लेकिन पालाल रोग  प्रतिकार क्षमता को बढ़ाता है हड्डियां और मासपेसियो के संबंध में बहुत सहायता प्रदान करता है । और कई जैसे संतुलित आहार , सोने का समय  सारिरिक कसरत  तथा मासपेसियो को बढ़ाने में बहुत कम  सहायक होता है। पालक में जो मानव शरीर के अंदर बहुत तरह के विटामिन  की जो आवास्यकता होती है वह पाई जाती है। जैसे खनिज आयरन ,प्रोटीन और बहुत सारे विटामिन,विटामिन ए,बी kampalex विटामिन और विटामिन सी जैसे आदि।

                👉    पालक के कुछ महत्वपूर्ण लाभ इस प्रकार है।


                                                    रक्त चाप कम करता है

                                                  पाचन में सुधार करता है।

                                                    कैंसर से लड़ता है।

                                       मदुमेह नियंत्रण में काफी मदद करता है।नेत्र स्वस्थ और दृष्टि के लिए अच्छा होता है। 

                                                मांसपेसिय के ताकत और हड्डियों को मजबूत करता है।

                           पालक के प्रति 100 ग्राम में 91ग्राम पानी होता है।पालक पोशाक तत्वों से युक्त काम कैलोरी वाला होता है ।

                                              पालक में 100ग्राम में निम्न होता है। 

                                                विटामिन ए 9377 माइकरोग्रम 

                                               विटानिम के 482,9माइक्रो ग्राम

                                                 विटामिन सी 28,1माइक्रो ग्राम 

                                                 पोटैसियम 558 मिलीग्राम 


                                                        मैग्निसिय 79 मिलीग्राम

                                                      लोहा 2.71 मिलीग्राम

                                                       कैल्शियम 99 मिलीग्राम 

                                                          शुगर 0.42 ग्राम 

                                                         फाइबर 2.2 ग्राम 

                                                      करबोहाईट्रेट  3.63 ग्राम

                                                        वसा 10.93 ग्राम

                                                       प्रोटीन 2.68 ग्राम

                                                    ऊर्जा 23 किलो कैलोरी

                                                       पानी 91.4 ग्राम


अक्सर लोग इसे फाइबर से भरपूर और कम वसा वाले  आहार में सामिल करते है। सलाद के लिए पालक एक महत्व पूर्ण सामग्री है। पालक प्राकृतिक रूप से ज्यादातर पक्ष्चिमी एशिया और मध्य एशिया में उगता है ।ज्यादातर सर्दियों में इसका उत्पादन किया जाता है। 

                👉 दुनिया में अधिक उत्पादन करने वाले पांच देसो के नाम 


                            1. संयुक्त राज्य अमेरिका  , विश्व उत्पादन का लगभग 1.5% 
                             2. जापान। विश्व उत्पादन का लगभग 1.1% 
                             3. इंडोनेशिया । विश्व उत्पादन का लगभग 1%से भी कम 
                             4. तुर्की। विश्व  उत्पादन का लगभग 1%

                              5. चीन। विश्व उत्पादन का लगभग 90% से अधिक

 
पालक को हम तीन परकारो में विभाजित कर सकते है।
इन पौधों को सीधा उगने के लिए  प्रोत्साहित किया जा सकता है। इसकी पत्तियों का रंग हरा होता है। ये सबसे सामान्य पारकर के पालक होते है। जो हमे बड़ी आसानी से हमारे छोटे  या बड़े मार्केट में मिल जाते है।

पालक के दूसरे प्रकार का पौधा: चिकनी पत्तियों वाला पालक इस प्रकार का पालक की पत्तियां हरी और चिकनी होती है।यह पौधा उगाने में बहुत ही आसान होता है।जो थोड़ी सी मेहनत पर ही उग जाता है। इस पालक की पत्तियां सीधी नहीं होती ।यह सामान्य रूप से हमारे सुपर मार्केट के मिल जाती है।

सेमी / सेवाय यह पालक की एक पारकर की प्रजाति है।

यह सकल पारकर का पौधा है। एम इसकी हरी पत्तियां सिकुड़ी हुई होती है।  पालक एक ऐसा पौधा है जिसके विकास के लिए आमतौर पर ठंढा का मौसम अवश्य होता है। यह किसी भी मिट्टी में अच्छी तरह से विकसित हो सकता है। अगर इसमें जैविक खाद के साथ इसे खेतो में बोया जाए तो यह अच्छी तरह से विकसित होता है। 

निष्कर्ष

पालक एक सुपरफूड है, जो कई आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। इसे नियमित रूप से आहार में शामिल करने से हृदय, हड्डियों, आंखों और पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है। अगर आप एक स्वस्थ और संतुलित जीवनशैली अपनाना चाहते हैं, तो पालक को अपने दैनिक आहार में जरूर शामिल करे । 

 अगर आपको हमारी जानकारी अच्छी लगी हो तो आप इसे अपने दोस्तों मे अधिक से अधिक शेयर करे । 


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शनिवार, 8 जून 2024

शायद ही आपको मालूम हो खीरा के लाभकारी फायदे



 😃खीरा के लाभकारी फायदे 😃



 


खीरा : स्वास्थ्य लाभ, खेती और देखभाल 


भूमिका


खीरा  एक लोकप्रिय सब्जी और सलाद का अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल स्वादिष्ट और ताज़गी देने वाला होता है , बल्कि इसमें कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। खीरा में उच्च मात्रा में पानी, फाइबर और विटामिन होते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूत करने के साथ-साथ शरीर को हाइड्रेटेड रखते है  इसके अलावा, खीरा त्वचा के  लिए भी बहुत फायदेमंद होताहै ।


 * खीरा  खाने के स्वास्थ्य लाभ 

* पाचन  में सहायक: खीरामे मौजूद फाइबर पाचन को दुरुस्त रखता है और कब्ज की  समस्या को दूर करता है 


* शरीर को हाइड्रेट रखता है : इसमें 95% पानी होता है, जो  शरीर में पानी की  कमी को पूरा करताहै 


* डायबिटीज  के लिए फायदेमंद: खीरा का  ग्लाइसेमिक इंडेक्स काम होता है, जिससे यह  डायबिटीज रोगियोंके  लिए लाभकारी है 


* तवच के लिए लाभकारी: खीराका उपयोग त्वचा पर  लगाने से नमी बनी  रहती है और झुर्रियां काम  होती है । 


* गर्मी  से बचाव: खीरा शरीरकी  गर्मी को काम  करता है और जलन, पीलिया, तथा  अन्य गर्मी संबंधित रोगों मे  राहत देता है 


* किडनी  हेल्थ: यह मूत्रवर्धक (diuretic) होता है , जिससे पेसाब की जलन  में राहत मिलती है 


* जोड़ों के दर्द में राहत: खीरा मे मौजूद सिलिकातत्व  जोड़ों के दर्दमे  राहत देता  है 


* खीरा  की प्रमुख  किसमे 


* फैजाबादी


* जापानीज लाग 


 * ग्रीन पाइंसेट


 * पुना खीरा


* कल्याणपुर खीरा 


* खीरा की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी 


खीरा  की खेती के लिए  हल्की अम्लीय (pH 6 से 7) और  जल निकास वाली मिट्टी  उपयुक्त होती  है। मिट्टी में नमी और  पोषक तत्वों की उचित मात्र  होनी चाहिए। पानी का सही निकास न  होने से जड़ों मे सड़न हो सकती है 


खीरा  की खेती का सही समय 


 * गर्मियों की फसल: फरवरी - मार्च 


* बरसात की फसल: जून-जुलाई 


* बीज  बोने की विधी 


* 1  हेक्टेयर भूमि के लिएलगभग  2 किलो बीज पर्याप्त होते है 


बीजों  को 2 इंच  गहराई में 1 मीटर  की दूरी पर  सीधी रेखा में बोया जाता है 

उचित  दूरी बनाए रखने  से पौधे अच्छी  तरह फैलते है और उनकी पैदावार  अधिक होती है।


* खाद  और उर्वरक


प्राकृतिक  खाद  जैविक खेती के लिए  गोबर की सड़ी हुई खाद सर्वोत्तम होती है 


रसायनिक  खाद से  बचें: केमिकल युक्त खाद  मिट्टी की गुणवत्ता को  खराब कर सकते है  और केचुओं को  नुकसान पहुंचाते है  जिससे मिट्टी की  उर्वरता घटती है 


* खीरे  के पौधों पर लगने वाले  कीट और उनके उपाय 


* लाल कीड़े: ये कीड़े पत्तियों को  खाते हैं, जिसके पौधे कमजोरहो जाते है 


* घरेलू  उपाय: सुबह के  समय पौधों पर लकड़ी की राख का छिड़काव करे  इससे कीड़े  पत्तों को नुकसान नहीं पहुंचा पाते है 


*एफिड्स और  थ्रिप्स: ये पौधों का रस चूसकर उन्हे  कमजोर कर देते है 


* प्राकृतिक उपचार : नीम का तेल या लहसुन-धनिया का  मिश्रण छिड़कने से  इन कीटों से बचाव किया जा सकता है 




 

खीरा को सलाद के रूप में अधिक प्रयोग किया जाता है ।खीरा को सलाद के रूप में लेने से पेट में भोजन पूरी तरह से पच जाता है।खीरा का उपयोग से हमे अनेको पारकर के लाभ मिलते है जैसे पेट में गैस न होना ,खीरा में अनेक प्रकार के विटामिन पाया जाता है। खीरा में अधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है। खीरा कब्ज दूर करता है पीलिया ,ज्वार,शरीर में जलन,गर्मी के सारे दोष,चर्म रोग में लाभकारी होता है।पेसब के जलन में लाभकारी होता है।मधुमेह में लाभकारी होता है।घुटनों के दर्द को दूर करने के लिए भोजने में खीरा का अधिक मात्रा में प्रयोग करे।

खीरा की अनेक प्रकार की परजतिया पे जाती है ।उनके नाम इस प्रकार है ।

1.फैजाबादी

2.जापानीज लाग 

3.गरीन पाइंसेट 

4.खीरा पूना

5. कल्याणपुर 

* खीरा को पैदावार के लिए उपयुक्त मिटटी/भूमि। 

इसकी खेती हल्की अम्लीय मिट्टी में की जाती है जिसका पी एच 6 से 7 पीएच होता है। खीरा की खेती हर प्रकार की मिट्टी के की जाती है खीरा की खेती में ध्यान देना की बात यह होती है की जहा इनकी  जिस खेत में खीरा की खेती हो उस खेत में पानी का निकास होना जरूरी होता । 

खीरा के पेड़ को अधिक ठंड सहन नही होता है जिससे ठंडी में पला का असर होने से खीरा का पेड़ सुख जाते है 

इसलिए इन्हे अदिकतर गर्मियों के मौसम में इनकी खेती बहुत अधिक तेजी से की जाती है जिससे किसान भाइयों को अधिक लाभ होता है।

*खीरा के पैदावार का एक निश्चित समय होता है

गर्मियों के लिए ..फरवरी और मार्च

बारिश के लिए... जून जुलाई

बीज की सही आकलन= 2 किलो बीज में 1हेक्टेयर  के लिए सही है इसमें खीरा के बीजो को खेत में एक सीधी रेखा में मिट्टी में 2 इंच गहराई में 1 मीटर में सीधी रेखा में बोया जाता है। इनमे पर्याप्त दूरी होने से खीरा के पेड़ो में फैलाव ज्यादा होता है जिससे खीरा के पेड़ो का विकास अधिक होता है जिससे पैदावार में वृद्धि होती है।

* खीरा के खेतो में पड़ने वाले खाद

 वैसे तो अनेक पारकर  केमिकल वाले खाद के खाद आते  आते है  ।मगर किसानों को अपने खेतो में केमिकल वाला खाद न डालकर गौ माता की गोबर की खाद डालनी चाहिए । गोबर की खाद बहत ही अच्छी होती है ।केमिकल वाली खाद जो हमारे खेतो को बहुत ही बुरा असर डालती है ।केमिकल वाली खाद से सबसे ज्यादा असर हमारे खेतो में जो केचुए होते है। उनको यह पूरी तरह खत्म कर देते है ।केचुए के न रहने से मिट्टी नर्म नही हो पति है।  जिससे खीरा के पेड़ो की जड़े मिट्टी में अधिक अंदर तक नहीं जा पति है जिससे खीरा के पेड़ो का विकास नहीं हो पाता है ।इसलिए किसानों को केमिकल वाला खाद न डालकर गोबर की साड़ी हुई खाद डालना चाहिए। 

* खीरा के पेड़ो पर लगने वाले कीड़

खीरा के पेड़ो पर लगने वाले कीड़े अक्सर लाल कलर के कीड़े होते है जो गर्मियों के मौसम वाले कीड़े है यह कीड़े अधिकतर  खीरा के पत्ते खाते है  इन कीड़ो के पत्ते खाने से खीरा के पेड़ धीरे धीरे समाप्त हो जाते है इन कीडो को भागने के लिए हमे घरेलू उपायों का उपयोग करना चाहिए। इन कीड़ो को भागने के लिए किसी भी चीज की राख को लेकर उसे सुबह सुबह खीरा के पत्तो पर छिड़काव करना चाहिए ।छिड़काव करने से कीड़े पत्तियों को नही खा पाते है जिससे कीरा के पेड़ सुरक्षित बचे  रहते है।

निसकर्ष 


खीरा  एक बहुपयोगी सब्जी है । जिसे स्वास्थ्य लाभ  और खेती   दोनों दृष्टिकोणों से  बेहद लाभकारी  माना जाता  है। उचितदेखभाल  जैविक खादोंका उपयोग, और  प्राकृतिक कीटनाशक  उपाय उपनकर  किसान उच्च  गुणवत्ता वाली पैदावार प्राप्त कर  सकते है 


यह लेख न केवल किसानोंके लिए बल्कि स्वास्थ और पोषण मे  रुचि रखने वाले  सभी लोगों के लिए उपयोगी  है 


धन्यवाद 

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