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शुक्रवार, 14 जून 2024

कदमब के आयुर्वेदिक लाभ

                                            😀 कदमब के आयुर्वेदिक लाभ इस प्रकार है।😀




आज के लोग आयुर्वेद पर अधिक विश्वास जताने लगे है।आयुर्वेद में सभी रोगों का इलाज संभव है। एसिलिये आयुर्वेद पर अधिक विश्वास लोगो का हो गया है। ऐसा आयुर्वेद में एक पेड़ है जिसका नाम है कदमब का पेड़  इस पेड़ की फल छाल तना  जो हमारी स्वास्थ के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। कदमब के पेड़ में बहोत सारे पोषक तत्व मौजूद होते है। जिससे यह हमारे लिए हमारे शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी होती है।

दरसल हमारे देश में ऐसे कई पारकर के पेड़ पाये जाते है। जिनमे विभिन्न पारकर के औषधि गुडो के भंडार पाए जाते है। ऐसा ही औषधि गुणो से भरपूर पाए जाने वालो में से एक पेड़ का नाम है जिसका नाम है। कदम्ब।यह हमारे शरीर के लिए  बहुत ही लाभकारी होता है। इस पेड़ के  फल  ,तना  , छाल ला इस्तेमाल औषधि गुणों में किया जाता है।  तथा  इसके  उपयोग से विभिन्न प्रकार के रोग मिट जाते है । कदम्ब का पेड़ का जो फल  होता है। वह पेशाब संबंधी बीमारी डायबिटीज, खासी ,जुकाम बदबू पायरिया ,आखों का दर्द ,जैसी  बीमारियो में लड़ने  में हमारी मदद करते है। यह कई प्रकार  के एंटी आक्सीडेंट,खनिज ,विटामिन से भरपूर  होता है।





जिन मरीजों को  ब्लड शुगर को कंट्रोल करना होता है वह कदम्मब की छाल का काढ़ा पीने से ब्लड शुगर में काफी राहत मिलती है ।  तथा साथ ही कदम्मब के फल को सेवन करने से फल में मौजूद  गुण  डायबिटीज में काफी लाभ करते करते है।






अगर किसी को खासी की समस्या कई दिनों से लगातार बनी हुई तो वह व्यक्ति कदममब की छाल और पत्तियो का काढ़ा बनाकर पिए  तो खासी की समस्या दूर की जा सकती है। यह काढ़ा  दिन में दो बार पी सकते है। 


कदम्मब के पत्तो का काढ़ा बनाकर गरारा करने से  पायरिया मुंह की बदबू में लाभ मिलता है। तथा मुंह के छालों कुछ दिनों में पूरी तरह ठीक हो जाते है। किसी व्यक्ति को अगर आखों में  दर्द हो रहा है तो कदम्मब  के छाल को पीसकर  उसका रस निकालकर आखों के किनारे चारो तरफ लगाने से आखों का दर्द ठीक हो जाता है। 
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मंगलवार, 11 जून 2024

पालक के चमत्कारी लाभ

👉 पालक के पोसक तत्व


 







पोषक तत्वों से भरपूर पालक विटामिन ए ,सी, जैसे आवश्यक तत्वो से भरपूर कोलेट औरन और कैल्सियम से भरपूर होता है
एंटी आक्सीडेंट गुण : इसमें बीट कैरोटिन, जैसे विभिन  एंटी आक्सीडेंट गुण होते हैं जो हमारे शरीर को तनाव से मुक्त करते है और पुरानी बीमारियो के खतरे को कम करते है 
प्राचीन फार्स में मूल रूप से पालक की उत्पत्ति हुई थी ।  और इसे बट सालो से पौष्टिक और सवथ पदार्थ माना जाता है। इसी कारण से इसे बहोत अधिक पसंद भी किया जाता है।एक टीवी प्रोग्राम कामिक किरदार पोपायिके कारण इसकी लोकप्रियता पूरे विश्व में फैली,जिसके कारण पूरे विसव में लोग इसके बारे में अधिक जानने लगे।टीवी शिरियाल पोपायिया का किरदार देखने के बाद लोग सवाल करने लगे की क्या पालक खाने से अधिक ताकत मिलती है। जिसके कारण दुस्मानो को हराया जा सकता है। यही सवाल लोग गुगल पर अधिक पूछने लगे।वैसे तो पपाया की कहानी को चढ़ा बड़ा कर दिखाया गया है।लेकिन पालाल रोग  प्रतिकार क्षमता को बढ़ाता है हड्डियां और मासपेसियो के संबंध में बहुत सहायता प्रदान करता है । और कई जैसे संतुलित आहार , सोने का समय  सारिरिक कसरत  तथा मासपेसियो को बढ़ाने में बहुत कम  सहायक होता है। पालक में जो मानव शरीर के अंदर बहुत तरह के विटामिन  की जो आवास्यकता होती है वह पाई जाती है। जैसे खनिज आयरन ,प्रोटीन और बहुत सारे विटामिन,विटामिन ए,बी kampalex विटामिन और विटामिन सी जैसे आदि।

                👉    पालक के कुछ महत्वपूर्ण लाभ इस प्रकार है।


                                                    रक्त चाप कम करता है

                                                  पाचन में सुधार करता है।

                                                    कैंसर से लड़ता है।

                                       मदुमेह नियंत्रण में काफी मदद करता है।नेत्र स्वस्थ और दृष्टि के लिए अच्छा होता है। 

                                                मांसपेसिय के ताकत और हड्डियों को मजबूत करता है।

                           पालक के प्रति 100 ग्राम में 91ग्राम पानी होता है।पालक पोशाक तत्वों से युक्त काम कैलोरी वाला होता है ।

                                              पालक में 100ग्राम में निम्न होता है। 

                                                विटामिन ए 9377 माइकरोग्रम 

                                               विटानिम के 482,9माइक्रो ग्राम

                                                 विटामिन सी 28,1माइक्रो ग्राम 

                                                 पोटैसियम 558 मिलीग्राम 


                                                        मैग्निसिय 79 मिलीग्राम

                                                      लोहा 2.71 मिलीग्राम

                                                       कैल्शियम 99 मिलीग्राम 

                                                          शुगर 0.42 ग्राम 

                                                         फाइबर 2.2 ग्राम 

                                                      करबोहाईट्रेट  3.63 ग्राम

                                                        वसा 10.93 ग्राम

                                                       प्रोटीन 2.68 ग्राम

                                                    ऊर्जा 23 किलो कैलोरी

                                                       पानी 91.4 ग्राम


अक्सर लोग इसे फाइबर से भरपूर और कम वसा वाले  आहार में सामिल करते है। सलाद के लिए पालक एक महत्व पूर्ण सामग्री है। पालक प्राकृतिक रूप से ज्यादातर पक्ष्चिमी एशिया और मध्य एशिया में उगता है ।ज्यादातर सर्दियों में इसका उत्पादन किया जाता है। 

                👉 दुनिया में अधिक उत्पादन करने वाले पांच देसो के नाम 


                            1. संयुक्त राज्य अमेरिका  , विश्व उत्पादन का लगभग 1.5% 
                             2. जापान। विश्व उत्पादन का लगभग 1.1% 
                             3. इंडोनेशिया । विश्व उत्पादन का लगभग 1%से भी कम 
                             4. तुर्की। विश्व  उत्पादन का लगभग 1%

                              5. चीन। विश्व उत्पादन का लगभग 90% से अधिक

 
पालक को हम तीन परकारो में विभाजित कर सकते है।
इन पौधों को सीधा उगने के लिए  प्रोत्साहित किया जा सकता है। इसकी पत्तियों का रंग हरा होता है। ये सबसे सामान्य पारकर के पालक होते है। जो हमे बड़ी आसानी से हमारे छोटे  या बड़े मार्केट में मिल जाते है।

पालक के दूसरे प्रकार का पौधा: चिकनी पत्तियों वाला पालक इस प्रकार का पालक की पत्तियां हरी और चिकनी होती है।यह पौधा उगाने में बहुत ही आसान होता है।जो थोड़ी सी मेहनत पर ही उग जाता है। इस पालक की पत्तियां सीधी नहीं होती ।यह सामान्य रूप से हमारे सुपर मार्केट के मिल जाती है।

सेमी / सेवाय यह पालक की एक पारकर की प्रजाति है।

यह सकल पारकर का पौधा है। एम इसकी हरी पत्तियां सिकुड़ी हुई होती है।  पालक एक ऐसा पौधा है जिसके विकास के लिए आमतौर पर ठंढा का मौसम अवश्य होता है। यह किसी भी मिट्टी में अच्छी तरह से विकसित हो सकता है। अगर इसमें जैविक खाद के साथ इसे खेतो में बोया जाए तो यह अच्छी तरह से विकसित होता है। 

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शनिवार, 8 जून 2024

शायद ही आपको मालूम हो खीरा के लाभकारी फायदे



 😃खीरा के लाभकारी फायदे 😃







 



।खीरा को सलाद के रूप में अधिक प्रयोग किया जाता है ।खीरा को सलाद के रूप में लेने से पेट में भोजन पूरी तरह से पच जाता है।खीरा का उपयोग से हमे अनेको पारकर के लाभ मिलते है जैसे पेट में गैस न होना ,खीरा में अनेक प्रकार के विटामिन पाया जाता है। खीरा में अधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है। खीरा कब्ज दूर करता है पीलिया ,ज्वार,शरीर में जलन,गर्मी के सारे दोष,चर्म रोग में लाभकारी होता है।पेसब के जलन में लाभकारी होता है।मधुमेह में लाभकारी होता है।घुटनों के दर्द को दूर करने के लिए भोजने में खीरा का अधिक मात्रा में प्रयोग करे।

खीरा की अनेक प्रकार की परजतिया पे जाती है ।उनके नाम इस प्रकार है ।

1.फैजाबादी

2.जापानीज लाग 

3.गरीन पाइंसेट 

4.खीरा पूना

5. कल्याणपुर 

खीरा को पैदावार के लिए उपयुक्त मिटटी/भूमि। 

इसकी खेती हल्की अम्लीय मिट्टी में की जाती है जिसका पी एच 6 से 7 पीएच होता है। खीरा की खेती हर प्रकार की मिट्टी के की जाती है खीरा की खेती में ध्यान देना की बात यह होती है की जहा इनकी  जिस खेत में खीरा की खेती हो उस खेत में पानी का निकास होना जरूरी होता । 

खीरा के पेड़ को अधिक ठंड सहन नही होता है जिससे ठंडी में पला का असर होने से खीरा का पेड़ सुख जाते है 

इसलिए इन्हे अदिकतर गर्मियों के मौसम में इनकी खेती बहुत अधिक तेजी से की जाती है जिससे किसान भाइयों को अधिक लाभ होता है।

खीरा के पैदावार का एक निश्चित समय होता है

गर्मियों के लिए ..फरवरी और मार्च

बारिश के लिए... जून जुलाई

बीज की सही आकलन= 2 किलो बीज में 1हेक्टेयर  के लिए सही है इसमें खीरा के बीजो को खेत में एक सीधी रेखा में मिट्टी में 2 इंच गहराई में 1 मीटर में सीधी रेखा में बोया जाता है। इनमे पर्याप्त दूरी होने से खीरा के पेड़ो में फैलाव ज्यादा होता है जिससे खीरा के पेड़ो का विकास अधिक होता है जिससे पैदावार में वृद्धि होती है।

खीरा के खेतो में पड़ने वाले खाद

 वैसे तो अनेक पारकर  केमिकल वाले खाद के खाद आते  आते है  ।मगर किसानों को अपने खेतो में केमिकल वाला खाद न डालकर गौ माता की गोबर की खाद डालनी चाहिए । गोबर की खाद बहत ही अच्छी होती है ।केमिकल वाली खाद जो हमारे खेतो को बहुत ही बुरा असर डालती है ।केमिकल वाली खाद से सबसे ज्यादा असर हमारे खेतो में जो केचुए होते है। उनको यह पूरी तरह खत्म कर देते है ।केचुए के न रहने से मिट्टी नर्म नही हो पति है।  जिससे खीरा के पेड़ो की जड़े मिट्टी में अधिक अंदर तक नहीं जा पति है जिससे खीरा के पेड़ो का विकास नहीं हो पाता है ।इसलिए किसानों को केमिकल वाला खाद न डालकर गोबर की साड़ी हुई खाद डालना चाहिए। 

खीरा के पेड़ो पर लगने वाले कीड़

खीरा के पेड़ो पर लगने वाले कीड़े अक्सर लाल कलर के कीड़े होते है जो गर्मियों के मौसम वाले कीड़े है यह कीड़े अधिकतर  खीरा के पत्ते खाते है  इन कीड़ो के पत्ते खाने से खीरा के पेड़ धीरे धीरे समाप्त हो जाते है इन कीडो को भागने के लिए हमे घरेलू उपायों का उपयोग करना चाहिए। इन कीड़ो को भागने के लिए किसी भी चीज की राख को लेकर उसे सुबह सुबह खीरा के पत्तो पर छिड़काव करना चाहिए ।छिड़काव करने से कीड़े पत्तियों को नही खा पाते है जिससे कीरा के पेड़ सुरक्षित बचे  रहते है।




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